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भू-कानून और स्थाई निवास/मूल निवास को लेकर फैल रहे भ्रम को लेकर सरकार को अपनी स्थिति साफ़ करनी चाहिए : तिलक राज बेहड़

 रुद्रपुर – उत्तराखंड में भू-कानून में बदलाव करने के लिये हो रहे आंदोलन पर पूर्व स्वास्थ्य मंत्री एवं किच्छा क्षेत्र के तेज़ तर्रार विधायक तिलक राज बेहड़ ने एक पत्रकार वार्ता में सरकार और आंदोलनकारियों से स्थाई निवास/मूल निवास को लेकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए, कोई छुपा हुआ एजेंडा नहीं लागू होना चाहिए। ऐसा होने से तराई में भय का वातावरण उत्पन्न होगा।

पूर्व स्वास्थ्य मंत्री बेहड़ ने कहा कि उत्तराखंड के राज्य गठन के लोगो ने कुर्बानिया दी है,मसूरी काण्ड हुआ,खटीमा कांड हुआ और मुज़फ्फरनगर काण्ड हुआ। टीचरों ने महिलाओ ने और यहां के लोगो ने आंदोलन किया। इसके बाद राज्य का गठन हुआ था।

 राज्य गठन के बाद भू कानून लागू हुआ था। यहां 15 साल तक रहने वालो को स्थाई निवास प्रमाण-पत्र जारी करने का शासनादेश हुआ था। पृथक उत्तराखंड राज्य के आंदोलन में सभी की हिस्सेदारी थी, इसका गठन विकास की सोच के चलते किया गया था,किन्तु विकास तो दूर भ्रष्टाचार चरम पर है। उसके खिलाफ कोई आवाज़ नहीं उठा रहा है। प्राकृतिक सम्पदा को बर्बाद किया जा रहा है और खनन माफिया सक्रिय है।

उन्होंने कहा कि अब भू कानून में फिर से बदलाव करने की कोशिश की जा रही है, इसमें कोई बदलाव स्वीकार नहीं किया जायेगा। भू-कानून को लेकर किये जा रहे आंदोलन के मंशा क्या है यह भी साफ़ होना ज़रूरी है। मैं किसी आंदोलन के खिलाफ नहीं हूँ। लेकिन इसकी आड़ में कोई छुपा एजेंडा लागू नहीं होना चाहिये। जिससे यहां बसे लोग उजड़ जाये। राज्य हित में कुछ बदलाव ज़रूरी है, तो पक्ष विपक्ष से विचार विमर्श के बाद बात होने चाहिये।



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